बदलते समय के साथ सामंजस्य शिक्षकों के लिए भी अनिवार्य तथ्य: डॉक्टर गणेश दत्त पाठक

बदलते समय के साथ सामंजस्य शिक्षकों के लिए भी अनिवार्य तथ्य: डॉक्टर गणेश दत्त पाठक

गुरु गौरव सम्मान में शिक्षकों के दायित्व पर हुआ गंभीर मंथन

गरीब दर्शन /सीवान –

यह समय बदलाव का है। समाज का हर संदर्भ बदल रहा है। डिजिटल क्रांति और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के दौर और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के परिप्रेक्ष्य में शिक्षा के क्षेत्र में आमूल चूल परिवर्तन आ रहा है। हम सभी शिक्षकों को भी इस बदलाव को समझने का प्रयास करना चाहिए और समय के साथ सामंजस्य बैठाने के प्रति प्रयासरत होना चाहिए। क्योंकि आज के दौर में शिक्षकों द्वारा छात्रों के सृजनात्मकता के प्रोत्साहन, प्रतिस्पर्धा के संदर्भ में उत्साहवर्धन और सही दिशा के संदर्भ में मार्गदर्शन की आवश्यकता कहीं ज्यादा है। ये बातें गुरुवार को होटल सफायर इन में सोसाइटी हेल्पर ग्रुप अनमोल टीम द्वारा शिक्षक दिवस के अवसर पर आयोजित गुरु गौरव सम्मान में शिक्षाविद् डॉक्टर गणेश दत्त पाठक ने कहीं।

इस अवसर पर डॉक्टर गणेश दत्त पाठक ने कहा कि समय की आवश्यकता के संदर्भ में हर सरकार देश के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति प्रस्तुत करती रही है। वर्तमान की नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति अब छात्रों के व्यक्तित्व के सम्पूर्ण मूल्यांकन पर बल दे रही है। मात्र मेमोरी आधारित छात्रों के मूल्यांकन परंपरा ने प्रतिभावान छात्रों के साथ अन्याय किया है। शिक्षक ही पढ़ाएंगे, शिक्षक ही मूल्यांकन करेंगे, शिक्षक ही सभी शैक्षणिक दायित्योंं का निर्वहन करेंगे। अब वे दिन गए। छात्रों की सृजनात्मकता के प्रोत्साहन पर अब नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बल दिया गया है। शिक्षा के क्षेत्र में यह बदलाव शिक्षकों को समझना होगा और छात्रों में क्रिएटिविटी के विकास के लिए हर संभव जतन करना होगा।

अपने संबोधन में शिक्षाविद् डॉक्टर गणेश दत्त पाठक ने आगे कहा कि मैकाले शिक्षा पद्धति का मुख्य लक्ष्य सिर्फ सरकारी नौकरी प्राप्त करना होता था लेकिन आज के दौर में शिक्षा में नवोन्मेष, नवाचार और उद्यमिता का विकास आदि तथ्य ज्यादा महत्वपूर्ण हो गए हैं। इसलिए शिक्षकों को अपने छात्रों में क्रिएटिविटी के विकास के लिए प्रेरित करना एक अनिवार्य तथ्य हो गया है। छात्रों में क्रिएटिविटी के विकास के लिए हर संभव प्रयास शिक्षकों को अब करना होगा। नए आइडिया का सृजन अब एक महत्वपूर्ण तथ्य है जिसके महत्व को हर शिक्षक को समझना चाहिए। अब वो दिन गए कि अध्यापक छात्रों को नोट्स लिखाएं और उस नोट्स को छात्र परीक्षा में रटकर परीक्षा पास कर लें। ऐसे छात्रों को आज एक भी नौकरी नहीं मिलनेवाली है। छात्रों को कौशल विकास के लिए भी प्रेरित करना अब शिक्षकों का दायित्व बन गया है।

शिक्षाविद् डॉक्टर गणेश दत्त पाठक ने कहा कि आज का जमाना डिजिटल क्रांति का है, इंटरनेट का है, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का है छात्रों के पास प्रचुर ज्ञान उपलब्ध है। अब शिक्षकों का दायित्व यह हो गया है कि वे छात्रों का सटीक मार्गदर्शन करें कि उन्हें क्या पढ़ना है क्या नहीं। छात्र इंटरनेट का सकारात्मक उपयोग करें इसके लिए छात्रों का मार्गदर्शन शिक्षकों के लिए महत्वपूर्ण हो गया है।

शिक्षाविद् डॉक्टर गणेश दत्त पाठक ने कहा कि आज नित प्रतिदिन प्रतिस्पर्धा में मात्रात्मक और गुणात्मक बढ़ोतरी हो रही है ऐसे में छात्रों में तनाव बढ़ता जा रहा है। कई छात्र आत्महत्या कर ले रहे हैं। ऐसे में आवश्यक है कि शिक्षक छात्रों के उत्साहवर्धन और उन्हें तनावमुक्त होने में मदद करें।

संबोधन में शिक्षाविद् डॉक्टर गणेश दत्त पाठक ने कहा कि उपभोक्तावादी संस्कृति के दौर में नैतिक मूल्यों का पतन हमारे समाज की वास्तविकता है। चाहे वो प्रशासन हो या राजनीतिक संगठन या पत्रकारिता या सामाजिक संगठन या धार्मिक संगठन हर जगह विसंगतियां उजागर हो रही है। लेकिन फिर भी यह देश चल रहा है तो कारण यह है कि हर पेशे में कुछ सकारात्मक लोग है जो समर्पित प्रयास कर रहे हैं। हम शिक्षकों को व्यर्थ की बातों पर ध्यान नहीं देकर अपने सकारात्मक सोच पर ध्यान देना होगा, छात्रों के सृजनात्मक प्रतिभा को निखारने पर ध्यान देना होगा, उन्हें सही मार्गदर्शन प्रदान करना होगा। समय के हर दौर में समाज को शिक्षक समुदाय से हमेशा उम्मीदें रही हैं हमें उन उम्मीदों पर खरा उतरना ही होगा।

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