परिवार और समाज के तानों से नहीं उत्पन्न हो पाती नशे के लत से दूर रहने की दृढ़ इच्छाशक्ति : डॉक्टर गणेश दत्त पाठक
✍️ :डॉक्टर गणेश दत्त पाठक
गरीब दर्शन / सीवान : सीवान में नशे की जद में आ रहे युवाओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है। चाहे ये युवा नशे की जद में गलत संगत से आ रहे हो या प्रतिस्पर्धा में वृद्धि से तनाव के चलते या बेरोजगारी के कारण परिणाम में सिर्फ़ जिंदगी की तबाही ही आती है। नशे की लत छुड़ाने के लिए सबसे पहली आवश्यकता नशे की जद में आए युवाओं के खोए आत्मसम्मान को लौटाने की होती है। नशे की लत के दौरान ताने सुन सुन कर ये युवा इस कदर हतोत्साहित हो चुके होते हैं कि जब उन्हें नशे की लत से बाहर निकलने के लिए वे आवश्यक इच्छाशक्ति का विकास ही नहीं कर पाते हैं। इस संदर्भ में मेरा भी एक अनुभव है जिसे मैं साझा करना चाहूंगा।
सीवान में मेरे पास प्रतिदिन जिलेभर के कुछ बच्चे प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी के संदर्भ में मार्गदर्शन लेने के लिए आते रहते हैं। बात मार्च की है रविवार का दिन था। एक युवा आया और बोला कि सर, मुझे बीपीएससी की तैयारी करनी है, कुछ मार्गदर्शन दीजिए। उसने अपना नाम रोहित (परिवर्तित नाम) और निवास स्थान बसंतपुर बताया। अभी उसने करीब सात साल पहले स्नातक की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। उसका हुलिया देख के ही लग रहा था कि वह नशे की लत के गिरफ्त में हैं क्योंकि बोलते वक्त ही महसूस हो रहा था कि उसके पास आत्मसम्मान की बेहद कमी थी। वह अपनी बारे में जानकारियां देता जा रहा था कि कैसे प्रतियोगी परीक्षाओं में उसे सफलता नहीं मिल पा रही है? कैसे प्रोफेशनल स्किल के अभाव में वह कोई नौकरी नहीं कर पा रहा है? कैसे बेरोजगार होने के कारण उसे पारिवारिक ताने सुनने को मिल रहे हैं? लेकिन मैं यह जानना चाह रहा था कि क्या वह कोई नशा करता है?
लेकिन मेरे पूछने पर बार बार वह नशे की लत के बारे में कुछ बता नहीं रहा था। बातचीत में उसके आत्मविश्वास का खोखलापन यह स्पष्ट कर रहा था वह नशे का आदी है। कुछ देर की बातचीत के बाद उसने स्वीकार किया कि वह सिगरेट आदि तंबाकू के कुछ नशे की लत में गिरफ्त में है। कैसे लत लगी? यह पूछने पर उसने बताया कि नौकरी नहीं मिलने के कारण घर के लोग बार बार ताना देते थे। जिससे एक बार दोस्तों के संपर्क के आने पर नशे का आदी बन गया। उसने बताया कि बार बार मैं नशे को छोड़ना चाहता हूं लेकिन छोड़ ही नहीं पाता हूं।बस यहीं कहानी नशे की गिरफ्त में आए कई युवाओं की है। वे नशे की लत से मुक्त होना चाहते हैं लेकिन मुक्त नहीं हो पाते क्योंकि उनके पास इसके लिए जो दृढ़ इच्छा शक्ति चाहिए होती है वह उनके पास नहीं होती क्योंकि बार बार परिवारजन और समाज के ताने सुन सुन कर उनका आत्मसम्मान गायब हो चुका होता हैं।मैंने रोहित से आगे बात की । उसके पढ़ाई के तरीके के बारे में पूछा। उसने जो तरीका बताया उस आधार पर तो वह कभी प्रतियोगी परीक्षा को पास नहीं कर सकता था। सबसे बड़ी समस्या उसके साथ यह भी थी कि उसका आत्मविश्वास भी डांवाडोल हो चुका था।फिर मैंने उसके जीवन के पूर्व की उपलब्धियों के बारे में पूछना शुरू किया तो रोहित ने बताया कि जब वह कक्षा छह में था तो एक बार उसके विद्यालय में बीडीओ साहब ने उसे पुरस्कार दिया था। जब वह मैट्रिक गया तो अपने स्कूल में फर्स्ट आया था। इंटर की परीक्षा में भी अच्छे अंक आए थे। स्नातक के दौरान स्थानीय विश्वविद्यालय में सत्र के देरी के कारण तीन साल की जगह छह साल लग गया। फिर कंपटीशन दे रहा है लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही है। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण प्रतिदिन ताने सुनने पड़ते हैं । गांव के लोग भी हंसते रहते हैं।फिर मैंने उसे समझाया कि बीडीओ साहब ने तुम्हें ही पुरस्कार दिया। मैट्रिक की परीक्षा में तुम ही स्कूल में अव्वल आए। इन बातों पर कभी ध्यान दिया है। उसने कहा नहीं लेकिन उसकी आंखों की चमक को मैं महसूस कर पा रहा था। फिर मैंने कहा रोहित तुम बहुत योग्य हो आवश्यकता तुमको खुद को पहचानने की है। तुम्हारी बस तैयारी की दिशा गलत है। तुम्हें अपने आत्मविश्वास को बढ़ाना होगा। तुम्हें अपनी उपलब्धियों पर गर्व करना होगा। तुम बहुत योग्य हो, तुम बहुत काबिल हो अमित। अपने को पहचानो। अब अमित की आंखों में आंसू थे। वह बोला कि सर पहली बार किसी ने मेरा हौंसला बढ़ाया है।मेरा उत्साहवर्धन किया है। उसके बाद रोहित तीन चार बार मेरे पास आया। एक दिन उसका कॉल आया तो चहकते हुए बताया कि सर, बीपीएससी में इस बार दो हजार के करीब सीट आई है। मैं आपके बताए अनुसार ही तैयारी कर रहा हूं। उसकी आवाज में मौजूद आत्मविश्वास ने मुझे खुशी दी। सफलता और असफलता अलग है लेकिन रोहित अपने आत्मविश्वास को प्राप्त कर नशे के चंगुल से बहुत हद तक बाहर निकल चुका है।हमारे युवा नशे के चंगुल में आ रहे है तो सबसे पहले पहल की दरकार परिवार के स्तर पर है। परिवार जन ताने देने, उन्हें कोसने की बजाय बच्चों के उत्साह को बढ़ाए, उसके आत्मसम्मान को वापस लाने के प्रयास करें, उनके उपलब्धियों को बार बार याद दिलाएं। इससे नशे के गिरफ्त में आए युवा अपने आत्मसम्मान को प्राप्त कर लेंगे और उस इच्छाशक्ति को भी प्राप्त कर लेंगे जो उन्हें नशे की लत से दूर जाने के लिए आवश्यक होती है। अपने आत्मसम्मान के वापस आने पर ये युवा नशे की लत से बाहर भी आ सकेंगे।सीवान में यूनिटी एंड पीस फाउंडेशन की तरफ से एक काउंसलिंग सेंटर सर सैय्यद रिफॉर्मेशन सेंटर को भी स्थापित किया जा रहा है। प्रेसिडेंट डॉक्टर शाहनवाज आलम के अनुसार इस केंद्र पर नशे के गिरफ्त में आए युवाओं को निःशुल्क चिकित्सकीय और परामर्श सुविधा भी प्रदान किया जाना है। काउंसलिंग यानी परामर्श नशा मुक्ति के संदर्भ में एक अनिवार्य तथ्य है।