सीता प्राकट्य भूमि पुनौरा धाम में नौ दिवसीय श्रीराम कथा जारी

अवध के नाते गुरु गोत्री हूँ इस नाते सीता हैं बड़ी बहुरानी : जगतगुरु श्री राम भद्राचार्य जी

 सीता प्राकट्य भूमि पुनौरा धाम में नौ दिवसीय श्रीराम कथा जारी

गरीब दर्शन / सीतामढ़ी : जगतगुरु तुलसीपीठाधीश्वर श्री राम भद्राचार्य जी महाराज द्वारा श्री रामकथा का आयोजन सीता प्रेक्षागृह जानकी जन्मभूमि पुनौराधाम में हुआ। कथा के दूसरे दिन मुख्य यजमान जानकी नंदन पाण्डेय ने गुरु पूजन किया। आचार्य अवधेश शास्त्री ने वैदिक उच्चारण से पूजन कराए। जगतगुरु ने कहा माता सीता प्राकट्य भूमि पुनौराधाम में कथा माता सीता की कृपा से होती है। प्रथम आचार्या, बहुरानी एवं जगत जननी माता सीता की महत कृपा से सोलहवें वर्ष कथा हो रही है। मिथिला का सत्कार और आदर भाव अद्वितीय प्रेम प्रतीक है। इसलिए प्रतिवर्ष कथा कहने आता हूं। मिथिला के प्रेम से बंधकर श्री राम कथा सुना रहा हूं। अवध के नाते गुरु गोत्रि हूं इस नाते सीता बड़ी बहुरानी हैं। कथा शुभारंभ सोमवार को गुरु पूजन रामायण पूजन के साथ वैदिक मंत्रोच्चारण के संग हुआ। जगतगुरु ने कहा मेरी सोलह वर्ष की तपस्या पूर्ण हुई है। भारत सरकार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बिहार सरकार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी जानकी जन्मभूमि पुनौराधाम सीतामढ़ी बिहार भारत को मान लिया है। 2010 से पहले तीन बार की कथा को पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने निरस्त कराने का काम किया। अब मां सीता जन्मभूमि पुनौराधाम का विकास निश्चित होगा। पहले यहां कोई सुविधा नहीं थी अब धीरे धीरे कुछ हुआ है। संसार के संबंध अनुबंध है परमात्मा से संबंध ही संबंध है। संस्कारिक संबंध छोड़कर परमात्मा से कोई संबंध मित्र, सखा, पुत्र, जीजा, दामाद व पिता कोई संबंध बना लीजिए। माता सीता के ही पति सिर्फ राम है, इसलिए कोई पति संबंध नहीं बना लेना। भगवान से संबंध बनते ही भगवान पास आने लगते है। भगवान अंतर्यामी रूप में वास करते है। माता सीता की अष्टसखी चारशिला, लक्ष्मणा, हेमा, क्षेमा, पद्मगंधा, वरारोहा, सुलोचना, सुभ गा है। पुनौरा में ही सीता जी का प्राकट्य हुआ है। वाल्मीकि और हनुमान जी यहां रहते है पुण्यारण्य है। अब गृहमंत्री ने कहा है श्री राम जन्मभूमि की तरह माता सीता जन्मभूमि पुनौराधाम सीतामढ़ी बिहार का विकास होगा। यही माता सीता प्राकट्य भूमि है। श्री हलेश्वर नाथ महादेव में हलेष्टि यज्ञ किया। हल की नोक सोने के सिंहासन से प्रकट हुई। यही पुण्यारण्य का पुनौरा माता सीता प्राकट्य भूमि है। भूमिजा है माता सीता। उन्होंने कहा कि अब निश्चित ही माता सीता प्राकट्य भूमि का विकास होगा। कथा में मुख्य यजमान जानकी नंदन पाण्डेय, संयोजक राम शंकर शास्त्री, अवधेश शास्त्री, धनुषधारी सिंह, बाल्मीकि कुमार, रघुनाथ तिवारी, विधायक मिथिलेश कुमार, शंकर कुमार, जानकी जन्मभूमि पुनौराधाम के न्यास ने सहयोग प्रदान किए।

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