— मेसर्स साइंस हाउस मेडिकल्स प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई के दरम्यान राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक को दिया निर्देश
— पैथोलॉजी सेवा की निविदा प्रक्रिया पर लगाई थी रोक
— स्वास्थ्य विभाग का हिंदुस्तान वेलनेस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के साथ करार
गरीब दर्शन / मोतिहारी / पटना – पटना उच्च न्यायालय के माननीय न्यायमूर्ति द्वय की खंडपीठ ने मेसर्स साइंस हाउस प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर बीते शुक्रवार को सुनवाई करते हुए सूबे में हब एवं स्पोक मॉडल में नामित सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं पर पैथोलॉजी सेवा प्रदान करने की निविदा प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगा दी है। बीते शुक्रवार को न्यायाधीश पीबी बजंथथ्री तथा न्यायाधीश सुनील दत्त मिश्रा की खंडपीठ ने तत्काल रोक लगाने संबंधी आदेश दिया था। साथ हीं रजिस्ट्री को निर्देश दिया था कि टोकन संख्या 1283/2025 पर कारवाई करे और इस मामले को वर्तमान रिट याचिका के साथ संबंधित रोस्टर बेंच के समक्ष 31 /01/ 2025 को पुनः सूचीबद्ध करें।सिविल रिट क्षेत्राधिकार मामला संख्या 17505/24 में याचिकाकर्ता का कहना है कि दो बोलीदाताओं ने याचिकाकर्ता की बोली के संबंध में आपत्तियां उठायी। अब यहां यह यक्ष प्रश्न उठ रहा है कि जब माननीय उच्च न्यायालय की दो न्यायधीशों की खंडपीठ ने पैथोलॉजी लैब संचालन पर तत्काल रोक लगा दिया था तो किस परिस्थिति में सदर अस्पताल मोतिहारी के ओपीडी भवन में पब्लिक प्राइवेट मोड में पैथोलॉजी लैब की सेवाएं बीते मंगलवार को शुरू की गई है जो गहन जांच का विषय है।यहां बताते चलें कि सदर अस्पताल के ओपीडी भवन के दूसरे तल पर हिंदुस्तान वेलनेस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के द्वारा लैब का संचालन शुरू कर दिया गया है। संचालन के संबंध में अस्पताल प्रबंधक के अनुसार लैब में 65 तरह की जांच की सुविधा है। यहां जांच के लिए अत्याधुनिक मशीन लगाई गई है। अस्पताल का पुराना पैथोलॉजी लैब भी पूर्व की तरह चलता रहेगा। मरीज पुराने अथवा पीपी मोड में संचालित लैब दोनों में- से कहीं भी जांच करा सकेंगे। कंपनी के सूत्रों के अनुसार अस्पताल के विभिन्न प्रभागों में कलेक्शन एजेंट उपलब्ध रहेंगे। इसके लिए बाइक टीम की भी प्रतिनियुक्ति की जाएगी। लैब संचालन से सम्बन्धित पटना हाईकोर्ट के रोक की बाबत जब सदर अस्पताल प्रबंधक कौशल दुबे एवं सिविल सर्जन से उनके मोबाइल नंबर क्रमशः 9472639463 पर सम्पर्क साधा तो उन्होंने कहा कि अभी तक माननीय न्यायालय के आदेश की कॉपी प्राप्त नहीं हुई है। विभागीय आदेश के आलोक में लैब खुला है। कॉपी मिलते ही कारवाई की जाएगी।